11 मार्च 2023 - 17:40
हमारा मक़सद जनाबे ज़ैनब के हरम की हिफाज़त करना था।

सय्यद हसन नसरुल्लाह ने अपने बयान में तकफ़ीरी आतंकवाद की इस्लाम दुश्मनी का ज़िकर करते हुए कहा कि वहाबी आतंकियों के निशाने पर पैगंबरे इस्लाम की नवासी हज़रात ज़ैनब का रौज़ा था। वह जनाबे ज़ैनब स अ के रौज़े को मिटा देना चाहते थे। उन्होंने जहाँ जहाँ कोई मस्जिद, मक़बरा , या इस्लामी हस्तियों से जुडी कोई इमारत या निशानी देखी उसे धमाकों में उड़ा दिया।

शहीद हाज असद सग़ीर की याद में आयोजित प्रोग्राम को संबोधित कर रहे हिज़्बुल्लाह लेबनान के जनरल सेक्रेटरी सय्यद हसन नसरुल्लाह ने इस शहीद को याद करते हुए कहा कि उन्हें दुनिया से कोई लगाव नहीं था न ही वह कभी दुनिया के पीछे गए।

सय्यद हसन नसरुल्लाह ने अपने बयान में तकफ़ीरी आतंकवाद की इस्लाम दुश्मनी का ज़िकर करते हुए कहा कि वहाबी आतंकियों के निशाने पर पैगंबरे इस्लाम की नवासी हज़रात ज़ैनब का रौज़ा था।  वह जनाबे ज़ैनब स अ के रौज़े को मिटा देना चाहते थे।  उन्होंने जहाँ जहाँ कोई मस्जिद, मक़बरा , या इस्लामी हस्तियों से जुडी कोई इमारत या  निशानी देखी उसे धमाकों में उड़ा दिया।

उन्होंने कहा कि वहाबी आतंकियों के एक मक़सद जनाबे ज़ैनब के रौज़े को नाबूद करना था और शहीद हाज सग़ीर का एक अहम् मक़सद जनाबे ज़ैनब के हरम की हिफाज़त करना था। हाज असद सग़ीर उन कमांडरों में थे जो शहीद क़ासिम सुलेमानी, शहीद एमाद मुग़निया , शहीद ज़ुल्फ़िक़ार के साथ साथ थे।

इराकी प्रतिरोध को खिराजे अक़ीदत देते हुए सय्यद हसन नसरुल्लाह ने कहा कि इराकी लोग सच में मज़लूम हैं कोई उनके उस संघर्ष को भी याद नहीं रखता जो उन्होंने बुश कार्यकाल में अमेरिकी फौजों को इराक से भगाने में किया था।

लेबनान की बात करते हुए उन्होंने कहा कि लोग समझते थे कि लेबनान एक अलग थलग आईलैंड है जिसे इलाक़ाई मुद्दों से कुछ लेना देना नहीं है। लेकिन अब सीरिया और फिलिस्तीन के बारे में बात करना मतलब लेबनन के भविष्य के बारे में बात करना है। फिलिस्तीन और सीरिया हमारे इलाक़े और अरब जगत का हिस्सा हैं।  इसलिए हमारी दीनी, अख़लाक़ी और समाजी ज़िम्मेदारी है कि हम अपने इन पडोसी देशों के बारे में फ़िक्र करें।

हसन नसरुल्लाह ने कहा कि सीरिया के ख़िलाफ़ छेड़ी गई वर्ल्ड वार में जीत के बाद हम एक अच्छी पोजीशन में हैं।  सीरिया को दुश्मन ताक़तों के ख़िलाफ़ प्रतिरोधी ख़ैमे का एक मज़बूत सुतून कहा जाता था और आज एक लंबी जंग के बाद भी सीरिया प्रतिरोधी दलों का मज़बूत स्तंभ है।

उन्होंने कहा कि सीरिया संकट के दुसरे साल में ही दमिश्क़ को कहा गया कि वह प्रतिरोधी दलों का समर्थन बंद कर दे और प्रतिरोधी कैंप से निकल जाए लेकिन सीरिया ने पेशकश को ठुकरा दिया। आज जब हम देखते हैं कि अरब और पश्चिमी देशों के डेलिगेशन फिर से दमिश्क़ आ रहे हैं तो हमे ख़ुशी होती है। जब आप ताक़तवर होते हैं तो आप बातचीत, रिश्तों की बहाली या किसी भी राजनैतिक और डिप्लोमेटिक क़दम से नहीं घबराते।

वहीँ ईरान और सऊदी अरब के रिश्तें में आती खुशगवार तब्दीली पर बयान देते हुए सय्यद हसन नसरुल्लाह ने कहा कि ईरान और सऊदी अरब की बढ़ती नज़दीकी से जुड़ा यह घटनाक्रम एक खुशगवार और अच्छा क़दम है और इससे मिडिल ईस्ट को फायदा होगा। यह इलाक़े के लिए बेहद ज़रूरी है।